राग कल्याण परिचय
थाट : कल्याण
जाति : सम्पूर्ण-सम्पूर्ण
गान-समय : रात्रि का प्रथम प्रहर
वादी स्वर : ग
संवादी स्वर : नि
विशेषताएँ :
राग कल्याण को "यमन" भी कहते हैं। इसका प्रयोग प्रायः सभी गायक और वादक करते हैं। इस राग में तीव्र मध्यम का प्रयोग होता है। राग का वादी स्वर ‘ग’ और संवादी स्वर ‘नि’ है। राग कल्याण का स्वभाव कोमल, गम्भीर एवं भावपूर्ण है।
इस राग में आरोह–अवरोह में सभी सातों स्वर प्रयुक्त होते हैं, इसीलिए यह सम्पूर्ण–सम्पूर्ण जाति का राग है।
आरोह में ‘रे’ और ‘प’ का प्रयोग वर्जित माना गया है। इस राग का गायन प्रायः रात्रि के प्रथम प्रहर में किया जाता है।
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