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🎶 क्या स्कूलों में हर दिन म्यूजिक पीरियड ज़रूरी है?


प्रस्तावना

क्या संगीत सिर्फ एक पीरियड तक सीमित होना चाहिए?

भारत के अधिकांश स्कूलों में सप्ताह में सिर्फ एक संगीत पीरियड होता है। लेकिन क्या ये पर्याप्त है?

35 वर्षों के अनुभव के आधार पर मैं – जितेन्द्र गौतम, यह विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि संगीत केवल एक विषय नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।

🧠 1. संगीत से मानसिक शांति और एकाग्रता

संगीत न केवल मन को सुकून देता है, बल्कि यह दिमाग की एकाग्रता को भी बढ़ाता है।

जब कोई बच्चा सुर, ताल और लय से जुड़ता है, तो उसका मानसिक संतुलन बेहतर होता है।

यह अनुभव स्कूल में उसके पढ़ाई के प्रदर्शन को भी सुधार सकता है।

बच्चों के लिए संगीत एक थेरेपी की तरह काम करता है। यह तनाव, एंग्जायटी और पढ़ाई के दबाव को कम करता है। जब बच्चे गाने या वाद्य यंत्र बजाने में व्यस्त होते हैं, तो उनका ब्रेन “happy hormones” (dopamine और serotonin) रिलीज करता है, जिससे उनका मूड बेहतर होता है।

📚 2. संगीत और विज्ञान का गहरा रिश्ता

क्या आप जानते हैं?

🎸 गिटार बजाते समय फिजिक्स (ध्वनि की तरंगें, कंपन आदि) का प्रयोग होता है।

🎹 ताल सीखते समय मैथ्स (गणितीय गिनती, फ्रैक्शन्स) की समझ विकसित होती है।

🎼 नोटेशन पढ़ने में भाषा कौशल और तर्क शक्ति दोनों का अभ्यास होता है।

संगीत बच्चों में न केवल क्रिएटिविटी लाता है, बल्कि उनके विश्लेषणात्मक सोच को भी निखारता है। यह दिमाग के दोनों हिस्सों (left और right hemisphere) को एक साथ सक्रिय करता है।

🏫 3. हर दिन क्यों होना चाहिए संगीत पीरियड?

जिस तरह स्कूलों में हर दिन हिंदी, गणित और विज्ञान पढ़ाया जाता है, उसी तरह हर दिन एक संगीत पीरियड होना चाहिए।

संगीत:

✅ बच्चों में रचनात्मकता बढ़ाता है।

✅ उन्हें अनुशासन सिखाता है।

✅ जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करता है।

✅ समूह में काम करने की भावना और सहयोग सिखाता है।

शोध बताते हैं कि जो बच्चे स्कूल में नियमित रूप से संगीत सीखते हैं, वे न केवल बेहतर अकादमिक प्रदर्शन करते हैं बल्कि सामाजिक कौशल और आत्म-विश्वास में भी आगे होते हैं।

🎤 निष्कर्ष

संगीत कोई ऐच्छिक विषय नहीं, बल्कि यह शिक्षा का एक आवश्यक हिस्सा होना चाहिए।

हर बच्चे को चाहिए कि वह संगीत को न केवल सुने, बल्कि जिए।

🌟 "संगीत केवल सुनने का माध्यम नहीं, यह आत्मा से संवाद का तरीका है।"

संगीत पीरियड को हर दिन शामिल करना आने वाली पीढ़ियों को न केवल बेहतर विद्यार्थी, बल्कि संवेदनशील और सृजनशील इंसान बनाएगा।

✍️ – जितेन्द्र गौतम