"गीत की धुन कैसे बनाएं: अपनी पहचान बनाए रखते हुए विविधता बनाए रखना"
संगीत एक आत्मिक कला है। यह केवल सुर और ताल का मेल नहीं, बल्कि भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है। जब हम गीत की धुन (composition) की बात करते हैं, तो यह जरूरी हो जाता है कि हम न केवल गीत के बोलों के साथ न्याय करें, बल्कि उसमें अपनी एक खास छाप भी छोड़ें। आजकल बहुत से संगीत शिक्षक, विशेषकर स्कूलों में, गीतों की धुन बनाते समय या तो यूट्यूब से कॉपी करते हैं या अपनी पुरानी धुनों को थोड़ा बहुत बदलकर फिर से प्रस्तुत करते हैं। इससे न केवल गीत की आत्मा प्रभावित होती है, बल्कि बच्चों की समझ और रुचि पर भी असर पड़ता है।
1. सबसे पहले समझें गीत का विषय (थीम)
धुन बनाने से पहले आपको यह स्पष्ट रूप से समझना होगा कि गीत किस विषय पर आधारित है। उदाहरण के तौर पर, अगर थीम है 'देशभक्ति', तो इसके अंदर भी कई भावनात्मक आयाम हो सकते हैं:
- वीरता और गर्व (उदाहरण: "संदेशे आते हैं")
- बलिदान और दुःख (उदाहरण: "तेरी मिट्टी में मिल जावां")
- उत्सव और ऊर्जा (उदाहरण: "जय हो")
हर भाव के लिए अलग रचना और अलग टेम्पो (tempo) चाहिए। आप यदि किसी वीर रस वाले गीत में धीमा और भावुक संगीत दे देंगे, तो वह प्रभाव नहीं उत्पन्न होगा जिसकी अपेक्षा की जाती है।
2. गीत के बोलों को ध्यान से पढ़ें और महसूस करें
धुन बनाने की शुरुआत बोलों की गहराई से समझ से होती है। क्या बोल में दर्द है, प्रेरणा है, गर्व है, या कोई और भावना? उदाहरण के लिए, फिल्म 'वीर ज़ारा' का गीत "ऐसा देश है मेरा" को लें – इसकी धुन में मिठास और अपनापन है, जो बोलों के भावों से मेल खाती है।
धुन कभी भी बोलों से अलग नहीं होनी चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं, तो गीत खोखला लगेगा।
3. धुन के लिए सबसे पहले रिद्म और टेम्पो सेट करें
ताल संगीत का आधार होती है। यह वह ज़मीन है जिस पर सुरों की इमारत खड़ी होती है। जब भी आप गीत की धुन बनाएं, सबसे पहले उसका टेम्पो और ताल तय करें। उदाहरण के लिए:
- अगर गीत में उत्साह और जोश है, तो द्रुत (तेज) लय चुनें।
- अगर गीत भावुक है, तो मध्य या विलंबित (धीमी) लय बेहतर रहेगी।
कुछ लोकप्रिय तालें हैं:
- केहरवा (8 मात्रा) – हल्के-फुल्के और लोक गीतों के लिए।
- दादरा (6 मात्रा) – भावुक गीतों के लिए।
- तीनताल (16 मात्रा) – क्लासिकल और विविध प्रयोगों के लिए।
4. दोहराव से बचें – हर गीत को नया रूप दें
बहुत से संगीत शिक्षक या नवोदित कंपोज़र एक ही तरह की धुन बार-बार अलग-अलग गीतों में डाल देते हैं। ऐसा करने से गीतों की विविधता समाप्त हो जाती है। हर बार कुछ नया सोचें, कुछ नया आज़माएं।
आप चाहें तो किसी एक टेम्पो को रख कर भी कई अलग-अलग धुनें बना सकते हैं। यह आपकी रचनात्मकता (creativity) पर निर्भर करता है। जैसे एक ही स्केल में कई अलग-अलग राग बनाए जा सकते हैं, वैसे ही एक ही बीट में भी ढेरों धुनें गढ़ी जा सकती हैं।
5. प्रयोग से न डरें – प्रयोग ही नया संगीत पैदा करता है
हर धुन एक प्रयोग का ही नतीजा होती है। संगीत कोई गणित का सवाल नहीं है कि एक ही फार्मूला बार-बार लागू किया जाए। आप चाहें तो वाद्य यंत्रों में नया प्रयोग करें, या फिर किसी राग को थोड़ा बदलकर उसमें कुछ नया रचें।
उदाहरण के लिए, कोई देशभक्ति गीत यदि दादरा ताल में होता है, तो आप उसे केहरवा में ट्राई करके देखें। कभी-कभी ताल बदलने से गीत की ऊर्जा ही बदल जाती है।
6. बच्चों के लिए गीत बनाते समय सरलता और आकर्षण का संतुलन रखें
स्कूलों में बच्चों के लिए गीत बनाते समय अक्सर देखा जाता है कि या तो गीत बहुत कठिन बना दिया जाता है या फिर इतना साधारण कि उसकी कोई भावनात्मक गहराई नहीं रहती। एक अच्छा गीत वह होता है जो बच्चों को गुनगुनाने लायक भी लगे और उनमें भावनात्मक जुड़ाव भी पैदा करे।
- सुर आसान रखें
- ताल परिचित होनी चाहिए
- रिद्म में उत्साह हो
- बोल स्पष्ट और प्रेरक हों
7. अंत में, धुन को बोलों पर बिठाकर खुद से टेस्ट करें
धुन बन जाने के बाद उसे एक बार खुद गाकर जरूर सुनें। क्या वह गीत के भावों के साथ मेल खा रही है? क्या वह लोगों के दिल को छू सकती है? अगर हां, तो आपने एक सफल रचना कर ली है।
निष्कर्ष
हर संगीतकार का अपना एक अंदाज़ होता है, जो उसकी पहचान बनाता है। लेकिन हर रचना में एक जैसी धुन डालना न तो रचनात्मकता है और न ही ईमानदारी। अगर आप हर गीत को एक नये नजरिए से देखें, उसके बोलों को महसूस करें, और फिर धुन रचें – तो न सिर्फ आपका संगीत असरदार होगा, बल्कि आपकी अलग पहचान भी बनेगी।
याद रखें –
"संगीत में विविधता ही उसकी असली सुंदरता है।"
"शबीना अदीब जी द्वारा लिखा गया गीत और मेरे द्वारा स्वरों में संजोया गया यह गीत सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें।"https://www.youtube.com/watch?v=m6hc6JA3Kyo&list=RDm6hc6JA3Kyo&start_radio=1